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अभिमंत्रित मूंगा रत्‍न -वृश्चिक राशि

₹3050.00

जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह की कृपा होती हैं, उसका कार्यक्षेत्र पुलिस, सेना, फ़ौज, अग्निशमन दल आदि से होता हैं। वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी बतलाया गया हैं और मंगल ...

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जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह की कृपा होती हैं, उसका कार्यक्षेत्र पुलिस, सेना, फ़ौज, अग्निशमन दल आदि से होता हैं। वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी बतलाया गया हैं और मंगल मकर राशि में उच्च का होता हैं।

रत्‍न: 4-5 रत्‍ती
सर्टिफिकेट: ICGTL Lab जयपुर
धातु: पंचधातु
वजन: 3.5 से 5 ग्राम
माप: फ्री साइज (Adjustable)

मूंगा रत्न की खासियत क्या हैं?

सौरमंडल में स्थित नौ ग्रहों में मंगल ग्रह सबसे आक्रामक ग्रह है। मंगल ग्रह को वैदिक ज्योतिष में क्रोध का कारक माना जाता हैं। प्राचीन काल से ही मंगल ग्रह को युद्ध का देवता माना गया है। मंगल हमारी लड़ने की क्षमता और आक्रामकता को दर्शाता हैं। व्यक्ति के पराक्रम को बढाने के लिए मंगल ग्रह कारक होता हैं। इसी के चलते हम लड़ने के लिए तैयार रहते हैं। मंगल ग्रह युद्ध का देवता है। भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार मूंगा मंगल ग्रह का बहुत ही प्रभावशाली और ऊर्जा प्रदान करनेवाला रत्न है। ज्योतिषविद मानते है की मंगल ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए और जातक के अंदर साहस जागृत करने के लिए मूंगा रत्न से जड़ित अंगूठी धारण की जाती है। जो लोग पुलिस, सेना, फ़ौज में जाना चाहते है उनके लिए मूंगा किसी वरदान से कम नहीं है। मूंगा रत्न को भौम, पोला, मिरजान, लता, मणि, कोरल, प्रवाल के नाम से लोग जानते है।

मूंगा रत्न के चमत्कारिक फायदे

  • मंगल ग्रह युद्ध का देवता है इसलिए शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए मूंगा धारण किया जाता है, इससे आनेवाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है और हिम्मत तथा साहस में वृद्धि होती है।
  • इस रत्न के प्रभाव से मनोबल में वृद्धि होती है, इच्छाशक्ति को पुनर्जीवित करने में मूंगा मदद करता है तथा मन में उत्पन्न भय का खात्मा करता है।
  • कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ भाव में बैठे है, ऐसी स्थिति के कारण मन में उदासी, क्रोध, चिडचिडापन उत्पन्न हो रहा है तो लाल मूंगा अवश्य धारण करना चाहिए उसके बाद स्थिति में एक महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिलता है।
  • पारिवारिक संबंधों में अगर खटास उत्पन्न हो रही है, जिसके कारण परस्पर संबंधों में असहमति पैदा हो रही है तो मूंगा धारण करना चाहिए इसके प्रभाव से संबंधों में मधुरता आती है।
  • इस रत्न को धारण करने के बाद मन में किसी चीज का लालच उत्पन्न नहीं होता, व्यक्ति सत्य की राह पर चलने लगता है।
  • जो लोग धन की कमी का सामना करते है या भारी कर्ज में है, उन्हें मूंगा रत्न से जड़ित अंगूठी धारण करने के बाद वे कर्ज चुकता करने में मदद मिलती है।
  • इस रत्न के प्रभाव से शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय बदलाव आते है, मनवांछित सफलता मिलती है, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है तथा विचारों में सकारात्मकता आती है।

मूंगा रत्न कौन धारण कर सकता हैं?

मंगल वृश्चिक राशि का स्वामी होता है और मूंगा मंगल ग्रह का बहुत ही प्रभावशाली और ऊर्जा प्रदान करनेवाला रत्न हैं इसलिए वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मूंगा रत्न से जड़ित अंगूठी धारण करना सबसे लाभकारक माना गया है।

मूंगा धारण करने की विधि

मूंगा मंगलवार के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व या सुबह स्नान करने के बाद मूंगा रत्न से जड़ित अंगूठी धारण करनी चाहिए। मूंगा धारण करने से पहले अपने कुलदेवता तथा मंगल देव को याद करते हुए 108 बार मंगल के बीज मन्त्रों का जाप करते हुए दाहिने हाथ की अनामिका अंगूली में धारण करना लाभदायक होता है। मूंगा अपने वजन के हिसाब से धारण करना चाहिए, सव्वा पांच रत्ति से कम मूंगा नहीं पहनना चाहिए।

मंगल का बीज मन्त्र – ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:

हमसे क्यों लें:

मूंगा रत्न की अंगूठी को हमारे अनुभवी और विद्वान ज्योतिषाचार्यों द्वारा विधिपूर्वक अभिमंत्रित करने के बाद ही आपके पास भेजा जाएगा, ऐसा करने से आपको इस रत्न के शुभ फल शीघ्र ही मिलते है। इस रत्न के साथ आपको एक सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा जो इस रत्न के ओरिजनल होने का प्रमाण है।

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