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जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह की कृपा होती हैं, उसका कार्यक्षेत्र पुलिस, सेना, फ़ौज, अग्निशमन दल आदि से होता हैं। वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी बतलाया गया हैं और मंगल ...
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जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह की कृपा होती हैं, उसका कार्यक्षेत्र पुलिस, सेना, फ़ौज, अग्निशमन दल आदि से होता हैं। वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी बतलाया गया हैं और मंगल मकर राशि में उच्च का होता हैं।
रत्न: | 4-5 रत्ती |
सर्टिफिकेट: | ICGTL Lab जयपुर |
धातु: | पंचधातु |
वजन: | 3.5 से 5 ग्राम |
माप: | फ्री साइज (Adjustable) |
सौरमंडल में स्थित नौ ग्रहों में मंगल ग्रह सबसे आक्रामक ग्रह है। मंगल ग्रह को वैदिक ज्योतिष में क्रोध का कारक माना जाता हैं। प्राचीन काल से ही मंगल ग्रह को युद्ध का देवता माना गया है। मंगल हमारी लड़ने की क्षमता और आक्रामकता को दर्शाता हैं। व्यक्ति के पराक्रम को बढाने के लिए मंगल ग्रह कारक होता हैं। इसी के चलते हम लड़ने के लिए तैयार रहते हैं। मंगल ग्रह युद्ध का देवता है। भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार मूंगा मंगल ग्रह का बहुत ही प्रभावशाली और ऊर्जा प्रदान करनेवाला रत्न है। ज्योतिषविद मानते है की मंगल ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए और जातक के अंदर साहस जागृत करने के लिए मूंगा रत्न से जड़ित अंगूठी धारण की जाती है। जो लोग पुलिस, सेना, फ़ौज में जाना चाहते है उनके लिए मूंगा किसी वरदान से कम नहीं है। मूंगा रत्न को भौम, पोला, मिरजान, लता, मणि, कोरल, प्रवाल के नाम से लोग जानते है।
मंगल वृश्चिक राशि का स्वामी होता है और मूंगा मंगल ग्रह का बहुत ही प्रभावशाली और ऊर्जा प्रदान करनेवाला रत्न हैं इसलिए वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मूंगा रत्न से जड़ित अंगूठी धारण करना सबसे लाभकारक माना गया है।
मूंगा मंगलवार के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व या सुबह स्नान करने के बाद मूंगा रत्न से जड़ित अंगूठी धारण करनी चाहिए। मूंगा धारण करने से पहले अपने कुलदेवता तथा मंगल देव को याद करते हुए 108 बार मंगल के बीज मन्त्रों का जाप करते हुए दाहिने हाथ की अनामिका अंगूली में धारण करना लाभदायक होता है। मूंगा अपने वजन के हिसाब से धारण करना चाहिए, सव्वा पांच रत्ति से कम मूंगा नहीं पहनना चाहिए।
मंगल का बीज मन्त्र – ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:
मूंगा रत्न की अंगूठी को हमारे अनुभवी और विद्वान ज्योतिषाचार्यों द्वारा विधिपूर्वक अभिमंत्रित करने के बाद ही आपके पास भेजा जाएगा, ऐसा करने से आपको इस रत्न के शुभ फल शीघ्र ही मिलते है। इस रत्न के साथ आपको एक सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा जो इस रत्न के ओरिजनल होने का प्रमाण है।
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