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अभिमंत्रित पुखराज रत्‍न -धनु और मीन राशि

₹3250.00

बृहस्‍पति देव मीन राशि के अधिपति ग्रह हैं, बृहस्पति इस राशि का प्रतिनिधित्व करते है, इसलिए मीन राशि के लोगों को पुखराज रत्‍न से जडित अंगूठी अवश्य धारण करना चाहिए। इसके...

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बृहस्‍पति देव मीन राशि के अधिपति ग्रह हैं, बृहस्पति इस राशि का प्रतिनिधित्व करते है, इसलिए मीन राशि के लोगों को पुखराज रत्‍न से जडित अंगूठी अवश्य धारण करना चाहिए। इसके प्रभाव से सोचने-समझने की शक्ति में वृद्धि होती है। जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति कमजोर है, उनके लिए पुखराज धारण करना लाभदायक होता है।

रत्‍न: 5.25 रत्‍ती
सर्टिफिकेट: ICGTL Lab जयपुर
धातु: पंचधातु
वजन: 3.5 से 5 ग्राम
माप: फ्री साइज (Adjustable)

पुखराज की अंगूठी कौन धारण कर सकता हैं? 

बृहस्‍पति देव धनु और मीन राशि के अधिपति ग्रह हैं, बृहस्पति इस राशि का प्रतिनिधित्व करते है, इसलिए धनु और मीन राशि के लोगों को पुखराज रत्‍न से जडित अंगूठी अवश्य धारण करना चाहिए। इसके प्रभाव से सोचने-समझने की शक्ति में वृद्धि होती है।

जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति कमजोर है, उनके लिए पुखराज धारण करना लाभदायक होता है। बृहस्पति की महादशा तथा अन्तर्दशा में भी पुखराज धारण करने से लाभ होता है। यह रत्न जीवन में समृद्धि और खुशहाली लेकर आता है। राजनीति से जुड़े लोग, सरकारी सेवा में कार्यरत तथा कोर्ट-कचेहरी से सम्बन्ध रखने वाले लोगों के लिए यह रत्न बहुत शुभ फल देने वाला होता है।

बृहस्पति का रत्न पुखराज जीवन में समृद्धि और खुशहाली लेकर आता है। राजनीति से जुड़े लोग, सरकारी सेवा में कार्यरत तथा कोर्ट-कचेहरी से सम्बन्ध रखने वाले लोगों के लिए यह रत्न बहुत शुभ फल देने वाला होता है। बृहस्‍पति देव धनु राशि के अधिपति ग्रह हैं, बृहस्पति इस राशि का प्रतिनिधित्व करते है, इसलिए धनु राशि के लोगों को पुखराज रत्‍न अवश्य धारण करना चाहिए। इसके प्रभाव से सोचने-समझने की शक्ति में वृद्धि होती है। वैदिक ज्योतिष में पुखराज का बड़ा ही महत्व है।  बृहस्पति यानि की गुरु की कृपा पाने के लिए ही पुखराज धारण किया जाता है। ज्ञान और बुद्धि का प्रतिनिधित्व करने का कार्य पुखराज करता है। पीला पुखराज एक बेहद खूबसूरत रत्न है।

पुखराज की खासियत 

जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति शुभ होकर भी अपनी शुभता नहीं दे पाते तथा बलहीन हो जाते है, उनके लिए पुखराज धारण करना लाभदायक होता है दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति अच्छे होने के बाद भी अपना प्रभाव नहीं दे रहे है, उनके लिए पुखराज धारण करना लाभदायक होता है। बृहस्पति की महादशा तथा अन्तर्दशा में भी पुखराज धारण करने से लाभ होता है। यह रत्न जीवन में समृद्धि और खुशहाली लेकर आता है। यह रत्न बहुत शुभ फल देने वाला होता है। भाग्य वृद्धि के साथ साथ यह रत्न धार्मिक आस्था में वृद्धि करने का कार्य भी करता है। पुखराज का प्रभाव शरीर और मन पर पड़ता है, जिसके कारण जातक अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के योग्य बनता है और उस दिशा में वो मेहनत भी करता है।

पुखराज के अद्भुत लाभ

  • पुखराज के प्रभाव से अन्याय के प्रति लड़ने की ताकद आती है। मानसिक तनाव को दूर कर, सकारात्मकता लाने का कार्य यह रत्न करता है। पुखराज रत्न को धारण करने के बाद मन से बुरे विचार दूर हो जाते है।
  • इस रत्न के प्रभाव से टीवी सीरियल के कलाकार, फिल्म उद्योग से जुड़े लोग या बड़े-बड़े उद्योगपतियों को धन के साथ साथ फेम भी मिलती है।
  • अन्याय के प्रति लड़ने की ताकद इस रत्न को धारण करने के बाद आती है।
  • मानसिक तनाव को दूर कर, सकारात्मकता लाने का कार्य यह रत्न करता है।
  • पुखराज धारण करने से धन-वैभव तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • अविवाहित कन्याएं जिनकी शादी में देरी होती है, उन्हें पुखराज धारण करने से लाभ होता है तथा उनकी शादी जल्दी होती है।
  • इस रत्न के प्रभाव से जातक एकचित्त होकर कार्य करने में सक्षम होता है तथा उसकी निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है।
  • इस रत्न का प्रभाव शरीर और मन पर पड़ता है, जिसके कारण जातक अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के योग्य बनता है और उस दिशा में वो मेहनत भी करता है।
  • भाग्य वृद्धि के साथ साथ यह रत्न धार्मिक आस्था में वृद्धि करने का कार्य भी करता है।

पुखराज किस दिन और किस अंगूली में धारण करें

पुखराज रत्न से बनी अंगूठी शुक्ल पक्ष में गुरूवार के दिन सुबह दाहिने हाथ की तर्जनी अंगूली में धारण करना सबसे उत्तम माना गया है। इसके अलावा यह रत्न गुरु की महादशा या अन्तर्दशा में भी धारण करना लाभदायक होता है। पुखराज से जड़ित अंगूठी धारण करते समय  गुरु का मंत्र ॐ क्लीं बृहस्पतये नम: का  108 बार जाप अवश्य करना चाहिए ।

हमसे क्यों लें:

पुखराज रत्न की अंगूठी को हमारे अनुभवी और विद्वान ज्योतिषाचार्यों द्वारा विधिपूर्वक अभिमंत्रित करने के बाद ही आपके पास भेजा जाएगा, ऐसा करने से आपको इस रत्न के शुभ फल शीघ्र ही मिलते है। इस रत्न के साथ आपको एक सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा जो इस रत्न के ओरिजनल होने का प्रमाण है।

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