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सुनेहला रत्न पुखराज का ही उपरत्न है और पुखराज रत्न का सम्बन्ध गुरु ग्रह से होता है, जिसे अंग्रेजी में सिट्रिन कहते है, यह एक प्रभावशाली रत्न है। यह रत्न पीले रंग का पूर्ण पारदर्शक तथा नरम रत्न होता है...
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सुनेहला रत्न पुखराज का ही उपरत्न है और पुखराज रत्न का सम्बन्ध गुरु ग्रह से होता है, जिसे अंग्रेजी में सिट्रिन कहते है, यह एक प्रभावशाली रत्न है। यह रत्न पीले रंग का पूर्ण पारदर्शक तथा नरम रत्न होता है। समृद्धि और खुशहाल जीवन जीने के लिए बृहस्पति का रत्न पुखराज जरुर धारण करना चाहिए परन्तु पुखराज महंगा होने के कारण इसे हर कोई धारण नहीं कर पाता, ऐसे में इसका उपरत्न सुनेहला धारण करने की सलाह ज्योतिषाचार्यों द्वारा दी जाती हैं। ज्ञान और बुद्धि का प्रतिनिधित्व करने का कार्य सुनेहला करता है। यह बेहद खूबसूरत रत्न है। राजनीति से जुड़े लोग, सरकारी सेवा में कार्यरत तथा कोर्ट-कचेहरी से सम्बन्ध रखने वाले लोगों के लिए यह रत्न बहुत शुभ फल देने वाला होता है। बृहस्पति देव धनु राशि के अधिपति ग्रह हैं, बृहस्पति इस राशि का प्रतिनिधित्व करते है, इसलिए धनु राशि के लोगों को सुनेहला रत्न अवश्य धारण करना चाहिए। इसके प्रभाव से सोचने-समझने की शक्ति में वृद्धि होती है। वैदिक ज्योतिष में इस रत्न का बड़ा ही महत्व है।
जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति शुभ होकर भी अपनी शुभता नहीं दे पाते तथा बलहीन हो जाते है, उनके लिए सुनेहला धारण करना लाभदायक होता है। बृहस्पति की महादशा तथा अन्तर्दशा में भी सुनेहला धारण करने से लाभ होता है। यह रत्न जीवन में समृद्धि और खुशहाली लेकर आता है। राजनीति से जुड़े लोग, सरकारी सेवा में कार्यरत तथा कोर्ट-कचेहरी से सम्बन्ध रखने वाले लोगों के लिए यह रत्न बहुत शुभ फल देने वाला होता है।
रत्न: | सुनेहला (सिट्रीन) |
भार रत्ती में: | 4.5- 7 रत्ती |
मूल: | ब्राज़ील |
अभिमंत्रित: | आचार्य राम |
बृहस्पति देव धनु राशि के अधिपति ग्रह हैं, बृहस्पति इस राशि का प्रतिनिधित्व करते है, इसलिए धनु राशि के लोगों को सुनेहला अवश्य धारण करना चाहिए। इसके प्रभाव से सोचने-समझने की शक्ति में वृद्धि होती है। यह रत्न समाज में मान- सम्मान के साथ सामाजिक कार्यों में भी रूचि बढाता है। धनु राशि के लोगों के लिए यह रत्न बहुत ही फलदायी होता है।
कहते है कि रत्न स्वयं सिद्ध प्रकृति का अनमोल उपहार हैं। इस धरती पर जो भी मनुष्य जन्म लेता हैं, उसके जीवन में कोई न कोई समस्या जरुर आती हैं, उन समस्याओं के समाधान के लिए ही रत्नों का आविष्कार हुआ हैं। ज्योतिष विद्या के अनुसार, रत्न धारण करने से मनुष्य के जीवन में आ रही समस्याओं का समाधान उसे शीघ्र ही मिल जाता हैं।
सुनेहला रत्न शुक्ल पक्ष में गुरूवार के दिन सुबह दाहिने हाथ की तर्जनी अंगूली में धारण करना सबसे उत्तम माना गया है। इसके अलावा यह रत्न गुरु की महादशा या अन्तर्दशा में भी धारण किया जाता है।
सुनेहला रत्न को हमारे अनुभवी और विद्वान ज्योतिषाचार्यों द्वारा विधिपूर्वक अभिमंत्रित करने के बाद ही आपके पास भेजा जाएगा, ऐसा करने से आपको इस रत्न के शुभ फल शीघ्र ही मिलते है। इस रत्न के साथ आपको एक सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा जो इस रत्न के ओरिजनल होने का प्रमाण है।
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