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वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता हैं। सूर्य का रंग केसरिया व रत्न माणिक्य माना जाता हैं। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में उच्च का होता हैं, जबकि तुला इसकी नीच राशि हैं। सूर्य को जगत की आत्मा माना गया हैं, सूर्य के कारण ही जीवन हैं अन्यथा सर्वत्र अन्ध...
Gemstone: | Ruby hindi |
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Sku: | माणिक्य रत्न |
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता हैं। सूर्य का रंग केसरिया व रत्न माणिक्य माना जाता हैं। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में उच्च का होता हैं, जबकि तुला इसकी नीच राशि हैं। सूर्य को जगत की आत्मा माना गया हैं, सूर्य के कारण ही जीवन हैं अन्यथा सर्वत्र अन्धकार हैं। जिस तरह घर के मुखिया के कमजोर होने पर घर-परिवार की स्थिति कमजोर होती हैं, उसी तरह कुंडली में सूर्य के कमजोर होने पर अन्य ग्रह भी अच्छे फल नहीं देते। सूर्य की कृपा पाने के लिए ही सूर्य का रत्न माणिक्य यानि की रूबी धारण करने की सलाह ज्योतिषाचार्यों द्वारा दी जाती हैं। माणिक रत्न अत्याधिक शक्तिशाली है, यह मुख्य रूप से एलुमिनियम ऑक्साइड है तथा यह बहुत ही अनमोल रत्न है।
माणिक्य गहरे लाल रंग से गुलाबी रंग तक का होता है, यह बहुत चमकदार रत्न होता है। माणिक्य खनिज के रूप में सबसे ज्यादा म्यांमार, बर्मा में पाया जाता है। इसके अलावा यह भारत, पाकिस्तान, नेपाल, कंबोडिया, अफगानिस्तान, जापान, स्कॉटलैंड, नामीबिया में पाया जाता है। गहरा लाल रंग होने के बाद भी यह रत्न ट्रांस्पेरेंट होता है। सूर्य ग्रह माणिक्य रत्न का स्वामी है, इस रत्न को धारण करने के बाद नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है।
रत्न नाम: | माणिक |
रत्न: | 5.25- 6.25 रत्ती |
सर्टिफिकेट: | ICGTL Lab जयपुर सर्टिफिकेट |
माणिक्य रत्न का अधिपति ग्रह सूर्य है और सूर्य की राशि सिंह है, इसलिए सिंह राशि के लोगों के लिए माणिक्य रत्न धारण करना लाभदायक होता है। सूर्य की कृपा से जातक को हर कार्य में सफलता मिलती है, सूर्य शुभ हो तो कांतिमय चेहरे और आकर्षक आँखों वाला व्यक्ति महान राजनीतिज्ञ भी हो सकता हैं, इसलिए अगर सिंह राशि के लोग सफलता पाना चाहते हैं तो माणिक्य रत्न जरुर पहनना चाहिए।
सूर्य के रत्न माणिक को शुक्ल पक्ष के किसी भी रविवार के दिन या ब्रह्म मुहूर्त में या सूर्य के नक्षत्र में अनामिका अंगूली में या अपने गले में धारण करना सबसे उत्तम माना गया है। माणिक्य धारण करने से पहले अपने कुलदेवता तथा सूर्य देव को याद करते हुए 108 बार सूर्य के बीज मन्त्रों का जाप करते हुए धारण करना चाहिए। माणिक्य अपने वजन के हिसाब से धारण करना चाहिए, सव्वा पांच रत्ति से कम माणिक्य नहीं पहनना चाहिए।
सूर्य का बीज मन्त्र – “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:”
माणिक रत्न हमारे अनुभवी और विद्वान ज्योतिषाचार्यों द्वारा विधिपूर्वक अभिमंत्रित करने के बाद ही आपके पास भेजा जाएगा, ऐसा करने से आपको इस रत्न के शुभ फल शीघ्र ही मिलते है। इस रत्न के साथ आपको एक सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा जो इस रत्न के ओरिजनल होने का प्रमाण है।
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